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*सीमावर्ती क्षेत्र का फायदा लेते हुए हजारों क्विंटल उड़िसा का धान झिरीपानी में डंप,541 एकड़ जमीन में 224 एकड़ जमीन टिकरा*

देवभोग।गरियाबंद। प्रशासन तो उड़ीसा सीमावर्ती क्षेत्रों में चेक पोस्ट तो लगवा दिए लेकिन न तो चेक पोस्ट में कर्मचारी तैनात है और न ही किसी तरह से अवैध धान के परिवहन में किसी तरह कि कोई रोक लगा पा रहें है यहां उड़ीसा से लगे गांव में उड़ीसा का धान बिंदास सीधी घरों में पहुंच रहें है। उड़िसा सिमा से लगे गांव सीमावर्ती क्षेत्र का फायदा उठाते हुए बिंदास धान कि परिवहन कर सीधे अपने अपने घरों में डंप कर रहें है अगर इनके घरों कि तलाशी ली जाए तो उड़ीसा से परिवहन किए धान मिलेंगे। अधिकतर टिकरा जमीन फ़िर भी हजारों क्विंटल धान झिरीपानी में डंप विभागीय कर्मचारी से मिली जानकारी के अनुसार प्रॉपर झिरीपानी गांव में अधिकतर टिकरा जमीन है प्राप्त जानकारी के अनुसार 541 एकड़ जमीन में 224 एकड़ जमीन टिकरा है और सिंचाई कि व्यवस्था नहीं होने के चलते इस टिकरा जमीनों में मुश्किल से दश क्विंटल एकड़ में पैदावार नहीं होती जिसको मद्देनजर रखते हुए ग्राम झिरीपानी गांव के किसानों ने सीमावर्ती क्षेत्र का फायदा उठाते हुए उड़िसा से हजारों क्विंटल धान अपने अपने घरों में डंप किए हुए है एक और जहां शासन प्रशासन के द्वारा फ़सल कटाई से लेकर गिरदावली का काम कर रहीं है ताकि किस जमीन में कितनी धान पैदावार हो रहीं है इसकी जानकारी लेने लेकिन यह परिक्षण मात्र कागजों में ही सिमट जा रहीं है जिसके चलते किसानों ने बेधड़क उड़िसा से धान लाकर इसे पूर्ति कर रहें है। टोकन काटने और निरस्त कराने पर लगाम जिले के कलेक्टर दीपक अग्रवाल के द्वारा छोटे और बड़े किसानों के लिए दो और तीन टोकन जारी कि है और झिरीपानी क्षेत्र में धान का औसत उत्पादन 10 से 12 क्विंटल उत्पादन प्रति एकड़ है लेकिन सरकार 21 क्विंटल प्रति क्विंटल खरीदी कर रहीं है। इस गैप को भरने के लिए झिरीपानी के अधिकतर किसान उड़िसा से निर्भर है। टोकन काटने के बाद धान जुगाड़ में सफल हुए तो खरीदी केंद्र पहुंच जाते थे जुगाड़ होने के बाद दुबारा टोकन कटवा लेते थे लेकिन नए प्रावधान के तहत् जुगाड़ का समय भी नहीं मिलेगा।

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